तूलिका के बिना जीवन की हर तस्वीर अधूरी और बेरंग है। तूलिका द्वारा ही चित्रकार अपनी तस्वीर में विभिन्न रंग भर कर उसे सजा संवार कर भरपूर स्नेह एवं दुलार के साथ प्रस्तुत करता है। बिल्कुल इसी प्रकार तूलिका सेठ ने भी अपनी जिंदगी के आईने की हर तस्वीर को अलग-अलग रंगों से सजा संवार कर प्रस्तुत किया है । दर्द की, संघर्ष की, करुणा की ,आत्ममंथन की, तड़प की ,वफा की, इंतजार ,की लगाओ कि समर्पण की गर्ज़ कि तूलिका सेठ ने हर रंग की तस्वीर को अपने शब्दों के माध्यम से सजा संवार कर हमारे समक्ष प्रस्तुत किया है, और गीत ग़ज़ल की पगडंडी पर चलकर प्रेम के पुष्प खिलाए हैं । आपकी रचनाएं प्रेम भाव विरह भाव पीड़ा तथा सुख-दुख के अनुभव से सुशोभित हैं ।आपके स्वभाव में कोमलता तथा अपनापन हैं जिससे उनके व्यक्तित्व में आकर्षण उत्पन्न हो गया है और इसी आकर्षण ने आपको साहित्य की डगर पर चलते हुए सफलताओं तक पहुंचाया है। आपकी शायरी प्रेम तथा सफ़लता की घोषणा है ।तूलिका सेठ साहित्य की गुलिस्ता की ऐसी गुलाब हैं जिनकी सोचो की सुगंध ने न केवल वातावरण को सुगंधित किया है, बल्कि ग़ज़ल के माध्यम से सरल भाषा में ग़ज़ल का रुतबा बुलंद किया है। हिंदी साहित्य से उनका बहुत गहरा रिश्ता है क्योंकि बचपन से ही आपके बाबा साहित्य एवं संगीत की दुनिया से परिचित कराते रहते थे ।आपके बाबा को कवि सम्मेलन और मुशायरे का बहुत शौक था और नन्ही तूलिका बाबा के साथ मुशायरा में जाया करती थी फिर यह कैसे मुमकिन था मासूम तूलिका के मन पर इसका प्रभाव ना पड़ता । जैसे जैसे बड़ी होती गई तूलिका का साहित्य के और संगीत में लगाव बढ़ता ही गया । गुलाम अली साहब और जगजीत सिंह की गजलों की कैसेट बड़े चाव से सुनती थी। वास्तव में आप का साहित्यिक सफ़र यहीं से शुरू हो गया। शकील, जगजीत, गुलाम अली ,की गजलें गुनगुनाते गुनगुनाते शब्दों से उलटफेर करने लगी और कब शायरा बन गई पता ही नहीं चला। आज तूलिका सेठ वरिष्ठ कवियत्री मानी जाती हैं। उन्होंने तमाम विधाओं पर लेखनी चलाई है जिन मैं ग़ज़ल प्रमुख है ।उर्दू साहित्य की विधा होते हुए भी ग़ज़ल को लगभग सभी भारतीय भाषाओं ने अपनाया है बड़ी से बड़ी बात को दो मिसरों में कह देने की कला ग़ज़ल के हिस्से में आई और इस कला से तूलिका ने खूब काम अंजाम दिया है। आपने अपनी ग़ज़ल को अपने जज़्बात और एहसासात की खुशबू से महका दिया है तूलिका सेठ संगीत के शुरू से अच्छी तरह वाक़िफ हैं। इसलिए इन की ग़ज़लों में लै और संगीत का सुंदर मिश्रण देखने को मिलता है ।आपने शब्दों के माध्यम से अपनी लेखनी में हीरे की कनी जैसी चमक पैदा कर दी है। आपकी आवाज साहित्यिक मंच पर ग़ज़ल का रुतबा बुलंद करती हुई विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से लोगों के दिलों में उतरती रही हैं ।इसके अतिरिक्त आकाशवाणी नई दिल्ली से भी आपकी ग़ज़लों का प्रसारण जारी रहता है। आपके ग़ज़ल संग्रह “आईना जिंदगी का” और “गुनगुनाती है बेचैनियां” मेरे सामने हैं इन संग्रह मैं संग्रहीत ग़ज़लों को पढ़कर आपके व्यक्तित्व को करीब से जानने और समझने का मौका मिला ! आप की गजलें सामाजिक सरोकार राष्ट्रीय चेतना पीड़ा दर्द संवेदना के अथाह सागर मैं पूरी डूबने और उतरने का पूरा अवसर मिला। दिल की बहुत कोमल और भावुक हैं सामाजिक विषयों से सराबोर होकर कहती हैं।
दिल लगाने की कोशिश करो
पास आने की कोशिश करो
दिल तोड़ना अच्छा नहीं किसी का
दिल मिलाने की कोशिश करो।
आप की ग़ज़लें पाठक के मन पर कुछ ऐसी तस्वीर छोड़ती हैं जिसमें हम अपना अक्स देख सकते हैं।
पढ़ के ख़त पे गिरा दिये आंसू
बेवफ़ा पर लुटा दिये आंसू
बह रहा था जो लहू नस नस में।
तेरे ग़म ने बना दिये आंसू।
तूलिका जी दिल की बेचैनियों को किस सुंदरता के से कागज़ पर बिखेर देती हैं कि वह व्यक्ति कि वह अपने दिल का साज़ महसूस होती हैं।
मुस्कुराती हैं बेचैनियां
यू सताती है बेचैनियां
दिल की धड़कन के हर साज़ पर
गुनगुनाती हैं बेचैनियां
तूलिका जी अपनी मधुर वाणी और मीठे स्वभाव से अजनबियों को अपना बनाने का हुनर जानती हैं शायद यही वजह है की पहली मुलाकात में ही आपने अंबर को अपना बना लिया। तूलिका जी कहती हैं।
मैं अपने दिल के तमाम नग़मे बड़ी मोहब्बत से गा रही हूं
इस अंजुमन में अजनबी जो, मैं सबको अपना बना रही हूं।
शांत और सौम्य स्वभाव के साथ तूलिका जी किरदार की इमारत की तामीर करती हुई कहती हैं।
इंसान की बुनियाद है किरदार ही यह
देता है जिंदगी का पता केदार ही यहां।
तूलिका के दिल में प्यार का ऐसा समंदर है कि वह इस प्यार को सारी दुनिया में बांटना चाहती हैं
प्यार का एक गुलशन सजा लीजिए
सारी दुनिया को उस में बसा लीजिए।
तूलिका जी की गजलें चांदनी में सराबोर एक हसीन शाम की तरह प्रतीत होती हैं।
कितनी हसीन शाम है ग़ज़लों की चांदनी
मेरा तुझे सलाम है गज़लों की चांदनी।
अंत में संक्षेप में केवल इतना ही कहना चाहूंगी कि तूलिका जी की ग़ज़लें फूल चांदनी बहार कलियां और बारिश की पहली बूंद की तरह दिल में उतरती चली जाती हैं वह ह्रदय के तारों से एसासास उत्पन्न करती हैं कि हर साहित्य प्रेमी का मान गुनगुना होता है।
नाम तेरा बस यही रोशन करेगा तूलिका
जो ग़ज़ल का फ़न समाया है तेरी तासीर में ।
कृतिया एवं सम्मान: आईना जिंदगी का ग़ज़ल संग्रह 2014। गुनगुनाती है बेचैनियां गजल संग्रह 2019
प्रकाशाधीन : कहानी संग्रह, गीत संग्रह, बाल संग्रह
सम्मान: बाल प्रहरी राष्ट्रीय संगोष्ठी सीन केम्प्टी मसूरी द्वारा सर्जन श्री पुरस्कार।
बाल साहित्य सृजन सम्मान 2011
युवा गीतकार ग़ज़ल सम्मान, तीसरी जंग समाचार पत्र न्यूज़ चैनल अलीगढ़ से सम्मान 2013।
लॉयन किंग फिल्म सम्मान अखंड भारत वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई साहित्य गौरव पुरस्कार 2014।
तबस्सुम अवार्ड 2015
आगमन संस्था द्वारा शाने अदब गुलजार देवी साहब द्वारा सम्मानित राष्ट्रीय उनके साहित्य अकादमी से गौरव अवॉर्ड
मातृशक्ति अवार्ड 2020
तूलिका जी ने साहित्य की साधना करते हुए जितने सम्मान और अवार्ड पाए हैं उन सब का उल्लेख कर पाना मुश्किल है हम अपने इस लेख के माध्यम से केवल इतना ही कहना चाहेंगे कि तूलिका जी साहित्य के ऊंचे शिखर तक पहुंचे इन्हीं शुभकामनाओं के साथ अपने लेख का समापन करती हूं।